जिम्नास्टिक्स खिलाड़ी हेमवती परिवार की सहयोग के लिए खेतों में लगा रही रोपा
पेण्ड्रा (काकाखबरीलाल). छोटे से गांव में रेत और बेंच पर सीख कर विद्यालय की ओर से राष्ट्रीय जिमनास्टिक में 6 बार खेलने वाली कक्षा 12वीं की छात्रा प्रीति नेटी और 8 बार खेलने वाली स्नातक प्रथम वर्ष की छात्रा हेमवती मराबी एक महीने से खेतों में रोपा लगा रही है। प्रीति नेटी रोपा लगाने से मिली मजदूरी से ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मोबाइल खरीदेगी। वहीं हेमवती इन पैसों से अपने परिवार का आर्थिक सहयोग करेगी। सोन नदी के किनारे बसे गांव सकोला की छात्रा प्रीति इन दिनों खेतों में रोपा लगाकर मजदूरी कर रही है। प्रीति ने शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सकोला की ओर से राष्ट्रीय जिमनास्टिक में 6 बार हिस्सा लिया है। इस वर्ष वह कक्षा बारहवीं में है। कोरोना महामारी के चलते इस वर्ष उसकी ऑनलाइन पढ़ाई होनी है। जिसमें उसे मोबाइल की जरूरत है। गरीब आदिवासी किसान परिवार के कोमल सिंह एवं रामवती की बेटी प्रीति को खेतों तक मोबाइल की चाह खींच लाई है। दरअसल मोबाइल खरीदने की जुगत में वह बीते 1 महीने से खेतों में काम कर रही है। जिमनास्टिक तकनीक और ग्लैमर का खेल है। यही प्रीति जब राष्ट्रीय जिमनास्टिक में म्यूजिक और लाइट के बीच में प्रदर्शन करती है। तब दर्शकों की वाहवाही मिलती है। बड़े-बड़े महानगरों में आधुनिक सुविधाओं के साथ जिमनास्टिक सीख कर प्रदर्शन करने वाली छात्राओं को सुविधाओं के अभावों में जिमनास्टिक सीख कर आदिवासी अंचल पेण्ड्रा की छात्राएं टक्कर देती हैं। लेकिन राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी छात्राओं की उपेक्षा शासन स्तर तक किस तरह हो रही है यह देखा जा सकता है। शासन स्तर पर ना ही इन छात्राओं को कोई प्रोत्साहन मिला और ना ही जिमनास्टिक जैसे तकनीक से भरे खेल को आगे बढ़ाने के लिए कोई सुविधा मिली है। नेशनल स्तर की जिमनास्टिक खिलाड़ी हेमवती मरा बी आदिवासी सर्वोत्तम सिंह और श्याम कुंवर की बेटी है। वह पांच भाई बहनों में सबसे छोटी है। इस वर्ष वह स्नातक प्रथम वर्ष की छात्रा है। उसने भी अपने स्कूली जीवन में विद्यालय की ओर से नेशनल स्तर पर जिमनास्टिक में 8 बार हिस्सा लिया है। देश के बड़े-बड़े महानगरों में प्रदर्शन करने वाली हेमवती ने कभी सोचा था कि जिमनास्टिक से कॅरियर बनेगा। वह इस खेल को रोजगार के रूप में भी अपना सकेगी लेकिन ऐसा हो ना सका। इस वर्ष हेमवती ने बालिका वर्ग की ब्लॉक स्तरीय मैराथन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल किया था। उसने कहा कि अंचल की छात्राओं को खेलों में बढ़ावा देने के लिए कोई योजना नहीं है। इससे प्रतिभाएं दम तोड़ रही हैं। उसने बताया कि वह खेतों में काम इसलिए करने आई है ताकि इससे वह अपने घर को आर्थिक मदद कर सके। बता दें कि पिछले हफ्ते ही मरवाही के ग्राम पथर्रा के एक आंगनबाड़ी केंद्र में कार्यकर्ता की नौकरी करने वाली नेशनल स्तर की जिमनास्टिक वर्षा रानी की कहानी सामने आई थी।