छत्तीसगढ़

जानिए तरबूज की खेती का फायदा

भारत में पिछले कुछ समय में किसान भाई काफी हद तक जागरूक हुए हैं. वे अब धान और गेहूं के अलावा अन्य फसलों की खेती पर भी ध्यान केंद्रित करने लगे हैं. देखा गया है कि पिछले कुछ सालों में किसानों के बीच तरबूज की खेती का भी चलन बढ़ा रहा है. तरबूज की बुवाई और रोपाई जनवरी से मार्च तक होती है. जबकि संरक्षित माहौल (यानि पॉलीहाउस लो-टनल, ग्रीन हाउस आदि) में किसान नवंबर-दिसंबर में भी बुवाई कर देते हैं. ज्यादातर किसान तरबूज के बीजों की सीधे बुवाई फरवरी में करते हैं, जबकि कुछ किसान जनवरी में पौध तैयार करके जनवरी के आखिर या फिर फरवरी में पौध लगाते हैं.
इसकी खेती करने के लिए गर्म और औसत आद्रता वाले जगहों को सबसे उपयुक्त माना जाता है. तरबूज के लिए मिट्टी का स्तर 5.5 से 7 तक उपयुक्त होता है. तरबूज की फसल को गर्म और शुष्क मौसम और भरपूर धूप की आवश्यकता होती है. 24 डिग्री सेल्सियस से 27 डिग्री सेल्सियस का तापमान बेल की वृद्धि के लिए सही रहता है. इसकी खेती के लिए अधिक तापमान वाली जलवायु सबसे अच्छी मानी जाती है. अधिक तापमान से फलों की वृद्धि अधिक होती है.

तरबूज की खेती के लिए उन्नत किस्में

तरबूज की कई उन्नत किस्में होती हैंं, जो कम समय में फल तैयार हो जाती है और उत्पादन भी अच्छा मिलता हैं. इन किस्मों में प्रमुख किस्मेें शुगर बेबी, अर्का ज्योति, पूसा बेदाना प्रमुख हैं.

काका खबरीलाल

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