छत्तीसगढ़ के इस सांसद ने भूपेश सरकार को धान खरीदने में बताया विफल,और कहा ये..
महासमुंद(काकाखबरीलाल)।महासमुंद लोकसभा क्षेत्र के सांसद चुन्नीलाल साहू ने छत्तीसगढ़ सरकार की कार्यप्रणाली पर प्रहार करते हुए कहा कि धान खरीदी करने में भूपेश सरकार विफल हो रही है इसलिए इसका जिम्मेदार केंद्र सरकार को देने तरह-तरह का प्रयास कर रही है। सांसद साहू ने आगे कहा कि सीएम बघेल ने किसानों से जो वादा किया है, निभाना पड़ेगा। सरकार अपने दम पर 2500 रुपये क्विंटल में धान खरीद कर वादा निभाएं। राजनीतिक पैतरेबाजी में प्रदेश के किसानों को न उलझाएं।
आज बागबाहरा के विश्राम गृह में
उन्होंने कहा कि नरवा-गरवा-घुरवा-बारी का नारा देकर सरकार छत्तीसगढ़ की जनता को सब्जबाग दिखाया गया है जबकि यह योजना वर्तमान में व आने वाले समय के लिए भी असफल व अनुपयोगी सिद्ध होगी व पैसों की सिर्फ बर्बादी है । धान खरीदी के लिए जब जनता से वादा निभाने की बारी आई है तो घोषणानुरूप धान नहीं खरीदकर इस पर राजनीति कर रहे हैं।
बातचीत में उन्होंने कहा कि बीते कई वर्षों से भाजपा शासन काल मे किसानों को सुविधा प्रदान करते हुवे धान खरीदी एक नवंबर अथवा 15 नवंबर से प्रारंभ होती रही है। इस वजह से किसानों ने कोठार (खलिहान) और कोठी (भंडारागार) नहीं बनाया व इसकी जरूरत भी नही पड़ी क्योकि खेत से धान सीधे खरीदी केंद्र जाता था अब किसानों के पास धान को भंडारित करने की बड़ी समस्या उत्पन्न् हो गई है। जहां धान को संग्रहित कर सकें। इस अवसर पर सांसद श्री साहू ने हंसी के माहौल में चुटकी लेेते हुए कहा कि
” छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी
नरवा- गरवा-घुरवा-बारी “
कोठी-कोठार कहां हे संगवारी
ये सबला बचाना हे ये दारी “
कर्ज तले दबे किसान अपनी उपज को समर्थन मूल्य पर धान खरीदी केंद्र में बेचकर खाद और बीज और साहूकारों का कर्ज चुकाते हैं। वहीं अपनी जरूरत की वस्तुएं भी खरीदते हैं। लेकिन, छत्तीसगढ़ सरकार एक दिसंबर से धान खरीदने का फरमान जारी कर अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है तो वही किसानों के समक्ष आर्थिक समस्याएं भी खड़ी हो जाएगी ।
सांसद साहू ने कहा कि दलगत राजनीति करते हुए भाजपा के निर्वाचित सांसदों को नीचा दिखाने में मुख्यमंत्री ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ा है। कोरबा और जगदलपुर के कांग्रेस सांसद को छोड़कर शेष सांसदों को डीएमएफ कमेटी में सदस्य तक नहीं बनाया गया है। तब वे किस मुंह से सांसदों की सर्वदलीय बैठक आहूत करने का दिखावा करते हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ में पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को विवादास्पद स्थिति में लाकर खडा कर दिया है। मामला कोर्ट में चले जाने से अब न तो पिछड़ा वर्ग को 14 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिल रहा है और न ही 27 प्रतिशत आरक्षण का। इस तरह से प्रदेश की बहुसंख्यक पिछड़ा वर्ग के साथ कांग्रेस व भुपेश बघेल सरकार द्वारा आरक्षण बढ़ाये जाने का सब्जबाग दिखाकर पिछड़ा वर्गों के साथ छल किया जा रहा है। आने वाले समय मे राज्य के किसान , पिछड़ा वर्ग व आमजनता इस छल का जवाब देगी ।