राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके विद्यालय तो पुस्तकीय ज्ञान प्रदान करते हैं मगर उनका घर सबसे पहली पाठशाला होती है
(रायपुर काका खबरीलाल) .
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके जेक ‘एन’ जील इंटरनेशनल स्कूल के 14वें वार्षिकोत्सव में शामिल हुई। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि विद्यालय तो पुस्तकीय ज्ञान प्रदान करते हैं मगर उनका घर सबसे पहली पाठशाला होती है और माता-पिता प्रथम शिक्षक होते हैं।
राज्यपाल ने पालकों से आग्रह करते हुए कहा कि बच्चों को अक्षर ज्ञान के साथ हमारी संस्कृति-परंपराओं की भी शिक्षा अवश्य दें। उन्हें बड़े बुजुर्गों का सम्मान करना सिखाए। साथ ही प्रकृति से प्रेम और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की भी सीख दें। निश्चित ही यह शिक्षा उन्हें एक अच्छा इंसान बनाने में मददगार साबित होगी।राज्यपाल ने कहा कि जीवन में शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान होता है। शिक्षा व्यक्ति में आत्मसम्मान और आत्मविश्वास का भाव उत्पन्न करती है। विद्यालय ही वह स्थान है, जहां बच्चे अपने भावी जीवन के लिए तैयार होते हैं। बच्चों के व्यक्तित्व के विकास में विद्यालय अहम भूमिका निभाते हैं।उन्होंने वार्षिक उत्सव के थीम ‘रंगोत्सवÓ की सराहना करते हुए कहा कि जीवन में रंगों का बड़ा महत्व होता है। रंगों से ही जीवन में खुशहाली, उत्साह तथा अन्य प्रकार के भाव पैदा होते हैं। यहां पर उपस्थित छोटे-छोटे बच्चे भी रंगों की तरह हैं, जिनकी उपस्थिति मात्र से सुख-समृद्धि के भाव आ जाते हैं।राज्यपाल ने बच्चों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रम को देखा और उनकी प्रस्तुती की सराहना की। इस अवसर पर स्कूल के शिक्षकगण और विद्यार्थीगण और उनके माता-पिता भी उपस्थित थे।