छत्तीसगढ़

हर दिन घोड़े पर सवार होकर स्कूल आता-जाता है मनीष

घुड़सवार तो आपने बहुत देखे और सुने होंगे। ये भी सुना होगा कि घोड़े पर ही सवार होकर कई जंग जीते गए और इतिहास रचे गए। ये भी सुना होगा कि जब यातायात के साधन नहीं थे, तब लोग मीलों की दूरी घोड़े पर सवार होकर तय कर लेते थे।

लेकिन इस सदी में भी जब यातायात के कई साधन मौजूद हों और हर घर में तमाम साधन उपलब्ध हों, उसके बाद भी कोई छात्र लगभग आठ किमी दूरी तय करके घोड़े पर सवार होकर स्कूल पढ़ने आने लगे, तो देखने वाले अचंभित हो ही जाएंगे। और शायद कई लोग सरकार की सरस्वती सायकल योजना की समीक्षा करने लग जाएं। नए युग का ये घुड़सवार छात्र है मनीष यादव, जो ग्राम बेलगहना में कक्षा पांचवी का छात्र है और ग्राम जरगा से ग्राम बेलगहना लगभग आठ किमी दूर पढ़ने आता है। मनीष हर दिन सुबह आठ बजे अपने घोड़े को दाना-पानी खिला पिला कर स्कूल के लिए निकलता है और समय पर उसका घोड़ा मनीष को स्कूल सही सलामत पहुंचा देता है।

जब तक मनीष अपनी कक्षा में बैठ कर अपनी पढ़ाई करता है, तब तक उसका घोड़ा आसपास ही घास चरते रहता है और छुट्टी के बाद मनीष को लेकर फिर से जरगा पहुंच जाता है। मनीष और उसका घोड़ा जब बाजार से निकलते हैं तो लोग कौतुहल से उन्हें देखने लगते हैं।

काका खबरीलाल

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