जल उत्सव का आयोजन कर हर घर जल ग्राम घोषित
केन्द्र और राज्य सरकार की संयुक्त पहल से जिले के ग्रामों में हर घर जल योजना का सपना फलीभूत हो रहा है। जिले के बागबाहरा विकासखंड अंतर्गत स्थित झिटकी ग्राम पंचायत के आश्रित गाँव मुड़पार उड़ीसा सीमा से सटे वनांचल क्षेत्र है। जहां गांव में जल उत्सव का आयोजन कर जल जीवन मिशन योजना के तहत इस गाँव को “हर घर जल ग्राम“ घोषित किया गया। गाँव के सरपंच पुनऊराम ठाकुर, सचिव कृष्णचंद पटेल, और जिला जल एवं स्वच्छता मिशन के कार्यपालन अभियंता देव प्रकाश वर्मा ने ग्रामीणों के साथ मिलकर सफल प्रयास किए।
वनांचल क्षेत्र होने के कारण मुड़पार में जल आपूर्ति प्रणाली स्थापित करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। प्राकृतिक बाधाओं और दूरस्थ क्षेत्र में आवश्यक संसाधन जुटाने में भी कठिनाई का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद, जिला प्रशासन ने गाँव के लोगों की भलाई को प्राथमिकता दी और हर घर तक नल से शुद्ध पेयजल पहुँचाने का संकल्प लिया। 53.13 लाख रुपये की लागत से 40 किलोलीटर क्षमता की जल टंकी का निर्माण किया गया, और 158 घरों में नल कनेक्शन स्थापित किए गए।
जल आपूर्ति परियोजना पूरी होने के बाद, गाँव के लोग अब घर में ही शुद्ध पानी प्राप्त कर रहे हैं, जिससे उन्हें पहले की तरह लंबी दूरी तय कर पानी लेने नहीं जाना पड़ता। यह न केवल समय की बचत कर रहा है, बल्कि गांव वासियों के स्वास्थ्य और जीवनशैली में भी सकारात्मक परिवर्तन लाया है। शुद्ध पेयजल की सुविधा मिलने से बच्चों और बुजुर्गों को विशेष राहत मिली है, और पूरे गाँव में एक खुशहाल वातावरण बन गया है।
हर घर जल योजना के सफलतापूर्वक पूरा होने पर गाँव में “हर घर जल उत्सव“ मनाया गया। जिला मुख्यालय से पहुंची टीम ने जल आपूर्ति प्रणाली का निरीक्षण किया, और सरपंच पुनऊराम ठाकुर ने परियोजना की सफलता की घोषणा की। उन्होंने यह भी बताया कि अब तक जल आपूर्ति का संचालन ठेकेदार द्वारा किया जाता था, लेकिन अब इसे ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति को सौंपा जाएगा। गांव वासियों ने जल योजना के रखरखाव के लिए पंप ऑपरेटर का चयन किया और इसके मानदेय के लिए 50 रुपये प्रति घर शुल्क निर्धारित किया गया।
जल उत्सव के दौरान ग्रामवासियों ने अपने सहयोग से इस योजना की सफलता को साझा किया। सरपंच, सचिव, मितानिन दीदी, और जिला समन्वयक के साथ गाँववासियों ने मिलकर इस अवसर पर खुशियाँ मनाईं। यह परियोजना न केवल एक बुनियादी सुविधा प्रदान करती है, बल्कि गाँव में सामुदायिक सहयोग और आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा देती है।