छत्तीसगढ़

श्रावण माह की महत्ता :आचार्य आशीष गौरचरण मिश्र

श्रावण माह की महत्ता
आचार्य आशीष गौरचरण मिश्र

श्रावण शब्द था श्रवण से बना है जिसका अर्थ है सुनाना था अर्थात सुन कर धर्म को समझना वेदों को श्रुति कहा जाता है अर्थात उस ज्ञान को ईश्वर से सुनकर ऋषियों ने लोगों को सुनाया था यह महीना भक्तिभाव और सत्संग के लिए होता है जिसे भी आप मानते हैंउस इष्ट को आप पूरे मन से आराधना कर सकते हैं लेकिन सावन के महीने में विशेषकर भगवान शिव माँ पार्वती और कृष्ण जी का विशेष महत्व है हिन्दू धर्म व्रत तो बहुत हैं जैसे चतुर्थी,एकादशी ,त्रयोदशी ,अमावस्या पूर्णिमा आदि !लेकिन हिंदू धर्म में चतुर्मास को ही व्रहा गया है चतुर्मास चार महीने की अवधि है जो आषाढ़ शुक्ल एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है ये चार माह है श्रावण ,भाद्रपद ,आश्विन और कार्तिक चतुर्मास के प्रारंभ को देवशयनी एकादशी कहा जाता है और अंत को देव उठनी एकादशी वाले चतुर्मास का प्रारंभ का महीना है श्रावण मास आइए जानते हैं इस मास के बारे में मुख्य बातें!

*🚩1:किसने शुरू किया श्रावण सोमवार व्रत*

हिन्दू धर्म के पौराणिक मान्यता के अनुसार सावन महीने को विशेषकर देवों के देव महादेव भगवान शंकर का महीना माना जाता है इस संबंध में पौराणिक कथा यह है कि जब सनत कुमार ऑन है महादेव से उसे सावन मैना पूरे होने का कारण पूछा तो महादेव भगवान शिव ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योग शक्ति से शरीर का त्याग किया था उससे पहले देवी सत्य नया महादेव को हरा जन्मों में पति के रुप में पाने का प्रण किया था अपना दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया पार्वती ने युवावस्था के सावन महीने में निराहार रह कर कठोर तप किया और उसे प्रसन्न करके विवाह किया इसके बाद ही महादेव के लिए यह माह विशेष रूप से हो गया!

*🚩2:क्या श्रावण सोमवार को ही व्रत रखना चाहिए?*

सावन मास को कालांतर में श्रावण सोमवार कहने लगे इससे यह समझा जाने लगा कि श्रावण माह में सिर्फ़ पर सोमवार को ही व्रत रखना चाहिए जबकि इस माह से व्रत रखने के दिन शुरू होते हैं जो 4 माह तक के चलते हैं जिससे चातुर्मास्य कहा जाता है आमजन सोमवार को यह व्रत रख सकते हैं शिवपुराण के अनुसार जिस कामना से कोई इस मास के सोमवारों का व्रत करता है उसके वाना कामनाएं अवश्य और शीघ्र पूरी हो जाती है जिनको 16सोमवार व्रत करना हैं,वे भी सावन के पहले सोमवार से पूजन करने की शुरुआत कर सकते हैं इस मास में भगवान शिव की बेल पत्र से पूजा करना श्रेष्ठ और शुभ फलदायक है!

*🚩3:क्या पूरे महीने व्रत रखना चाहिए?*

हिन्दू धर्म में श्रावण मास को पवित्र और व्रत रखने वाला मास माना गया है और एक श्रावण माह में निराहार या फलाहारी रहने की अनुमति दी गई है इस मास में शास्त्र के अनुसार ही पालन करना चाहिए मन से या मनमाना ग़लत से दूर रहना चाहिए इस संपूर्ण मास में नियम से व्रत रखकर आध्यात्मिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है!

*🚩4:श्रावण मास के पवित्र दिन कौन कौन से हैं?*

इस मास में वैसे तो सभी पवित्र दिन होता है लेकिन सोमवार गणेश चतुर्थी ,मंगलवार गौरीव्रत ,मौला पंचमी, श्रावण मास का पहला शनिवार ,कामिका एकादशी ,कल्कि अवतार शुक्ल6 ,द्वादशी को हिंडोला व्रत ,हरियाली अमावस्या, विनायक चतुर्थी ,नागपंचमी ,पुत्रदा एकादशी ,त्रयोदशी ,वरा लक्ष्मी व्रत ,गोवत्स और बाहुला व्रत पोला ,नरालि पूर्णिमा ,श्रावण पूर्णिमा ,शिव चतुर्दशी ,रक्षाबंधन आदि पवित्र दिन हैं!

*🚩5:पूर्ण व्रत के अलावा क्या यह श्रावणी उपाकर्म कर्म है?*

कुछ लोग इस माह में श्रावणी उपाकर्म भी करते हैं पैसे यह कार्य खम्बा स्नान के दौरान भी होता है या कर्मों की से आश्रम जंगल या नदी के किनारे संपूर्ण रूप से किया जाता है मतलब यह कि घर परिवार से 2 संन्यासी जैसा जीवन जीकर या कर्म किया जाता है श्रावणी उपाकर्म के 3 पक्ष हैं

प्रायश्चित संकल्प ,संस्कार और स्वाध्याय !पूरे माह किसी नदी के किनारे किसी गुरु के सान्निध्य रहकर श्रावणी उपाकर्म करना चाहिए यह सब से सिद्धिदायक महीना होता है इसलिए इस दौरान व्यक्ति कठिन उपवास करते हुए जप,ध्यान करता है श्रावण मास में श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को श्रावणी उपाकर्म प्रत्येक हिंदुओं के लिए ज़रूरी बताया गया है इसमें दसविध स्नान करने में आत्मशुद्धि होती है व पितरों का तर्पण से उन्हें भी तृप्ति प्राप्त होती है श्रावणी पर्व वैदिक काल से शरीर मन और इन्द्रियों की पवित्रता का पुण्य पर्व माना जाता है !

काका खबरीलाल

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