प्रदेश में गांव की महिलाएं बनाएंगी बिजली…
अब तक बिजली उत्पादन का काम सरकारें और बड़े औद्योगिक घराने करते रहे हैं। यह मिथक छत्तीसगढ़ राज्य में टूटने जा रहा है। अब यहां गांव की महिलाएं विद्युत उत्पादक बनने जा रही है। राज्य के गौठानों में खरीदे जा रहे गोबर से स्व-सहायता समूहों की ग्रामीण महिलाएं बिजली बनाएंगी। यह चमत्कार होगा अत्याधुनिक तकनीक से, जिसके लिए भाभा अनुसंधान केंद्र ट्राम्बे और छत्तीसगढ़ बायो फ्यूल विकास प्राधिकरण के बीच एमओयू हुआ है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में बार्क द्वारा आधुनिक तकनीक निसरगु्रना के हस्तांतरण की सहमति बनी। गौठानों में गोबर और कृषि अपशिष्ट से बिजली बनाने के संयंत्र लगाए जाएंगे।
इस करार के मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, पिछले तीन सालों में छत्तीसगढ़ ने कृषि के क्षेत्र में तेजी से प्रगति करते हुए पूरे देश को रास्ता दिखाया है। कृषि और किसानों की बेहतरी के लिए कई नए कदम उठाए गए हैं और नए-नए नवाचार हुए है। कृषि क्षेत्र के विकास के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की योजनाओं की सफलता की चर्चा आज पूरे देश में हो रही है। किसानों की आय में बढ़ोत्तरी के लिए फसल उत्पादन एवं गुणवत्ता बढ़ाने तथा मूल्य संवर्धन करने और उनके सुरक्षित भंडारण पर जोर दिया है।
छत्तीसगढ़ में वनों के संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में सीएम ने कहा, राज्य का 44 प्रतिशत भू-भाग वनाच्छादित है। हमने जंगलों को बचाकर रखा है, राज्य का बड़ा भू-भाग वनाच्छादित होने के कारण वहां अपेक्षाकृत विकास के कार्य नहीं हो पाते हैं। विकास के लिए बड़े प्रोजेक्ट जैसे सिंचाई के लिए बांध, उद्योग, कारखाने आदि की स्थापना में दिक्कत आती है, परंतु राज्य को इसकी कहीं से कोई भी प्रतिपूर्ति नहीं मिलती है, जबकि छत्तीसगढ़ देश को 16 प्रतिशत ऑक्सीजन की सप्लाई करता है। प्रकृति को कैसे बचाएं और उससे कैसे लाभ लें, इस दिशा में छत्तीसगढ़ सरकार काम कर रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि राज्य में फूड रेडियेशन टेक्नोलॉजी के उपयोग से किसानों और वनवासियों के आय में और वृद्धि होगी।
वहीं, कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे, मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा ने कहा, गौठानों में रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क की स्थापना तेजी से की जा रही है। यहां बेहतर उत्पादन एवं लाभ के लिए तकनीक की जरूरत है। भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र से हुए एमओयू के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि कृषि के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ सुनहरे भविष्य की ओर बढ़ रहा है।
बीएआरसी के डायरेक्टर डॉ. ए.पी. तिवारी, ब्रिट के सीईओ डॉ. प्रदीप मुखर्जी ने गोबर से विद्युत उत्पादन और खाद्य रेडियेशन तकनीक के बारे में बताया। बीआरसी के वैज्ञानिकों ने छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना की सराहना की। परमाणु वैज्ञानिक डॉ. तिवारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में गोबर और कचरा अब धन बन गया है। इससे मिथेन गैस और विद्युत ऊर्जा का उत्पादन होगा। बीएआरसी बॉयो साईंस डायरेक्टर डॉ. तपन कुमार घंटी ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार दो रूपए में गोबर खरीदकर उसका अच्छा उपयोग कर रही है।