विजय चौहान @ महासमुंद (काकाखबरीलाल)। जिले में ऐसे सैकड़ों कारोबारी हैं जो छोटा-मोटा व्यवसाय कर अपना परिवार चला रहे हैं, इनमें पान दुकान, चाय ठेला, इडली-दोसा नाश्ता ठेला, सडक़ किनारे बैग, बेल्ट व चप्पल आदि बेचने वाले, गुपचुप ठेला, फास्ट फूड ठेला, सडक़ किनारे सामान बेचने वाले, फेरी वाले सहित अन्य कई छोटे कारोबारियों के सामने कोरोना से ज्यादा अब भुखमरी का डर सताने लगा है। यदि जल्द ही हालात नहीं सुधरे तो इनके सामने भुखमरी जैसे हालात उत्पन्न हो सकते हैं, विडम्बना का विषय यह भी है कि इनमें से अधिकांश के पास राशन कार्ड भी नहीं होगा जो कि राशन दुकान से सामग्रियां ले सकें।
कोरोना ने मानव जीवन को अत्यंत ही कष्टप्रद बना दिया है, जो इस वायरस से पीड़ित हो रहे हैं वे काल कवलित हो रहे हैं, लेकिन जो इससे पीड़ित नहीं है अब उनका भी जीना मुहाल हो गया है। सबसे ज्यादा प्रभाव उन छोटे व्यवसाइयों पर पड़ रहा है, जो छोटा-मोटा कारोबार कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे थे, इन व्यवसाइयों के पास उतनी बचत भी नहीं है कि कई दिनों तक कारोबार बंद रहने से भी काम चला सकें। अब आलम यह है कि ऐसे व्यवसायी इधर-उधर से कर्ज लेकर परिवार की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं, विगत एक महीने से इनका पूरा कारोबार बंद है।
लॉकडाउन से व्यापारी वर्ग ही नहीं, बल्कि उनके प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कर्मचारी और मजदूर भी परेशान हैं। कोरोना से व्यवसाय और कारोबार प्रभावित है, पिछले वर्ष भी लॉकडाउन के कारण उनका व्यवसाय प्रभावित हुआ है, वहीं इन दुकानों एवं व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में काम करने वाले सैकड़ों कर्मचारियों की नौकरी भी छूट गई है। लॉकडाउन मानसिक तौर पर निराशा की ओर धकेल रहा है, मानसिक अवसाद के चलते वे डिप्रेशन की हालात से गुजर रहे हैं।