छत्तीसगढ़

गरीब मां इलाज के लिए रोज गोद में लेकर काटती है सरकारी दफ्तरों के चक्कर, नहीं मिली मदद

डौंडी ब्लॉक की ग्राम पंचायत अडजाल के आश्रित ग्राम जमहीगांव की रहने वाली मां इन दिनों अपने दिव्यांग बच्चे के परवरिश के लिए दर-दर भटक रही है। दो साल पहले बालक के पिता की मौत हो गई। 6 माह बाद ही 11 साल की उम्र में बेटा पैरों से अपाहिज हो गया। लाचार मां गरीबी के चलते इलाज नहीं करा पा रही है। अब बेटे के इलाज के लिए शासन-प्रशासन से मदद की गुहार लगा रही है। बेबसी देखिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने के बाद भी मां को अभी तक कहीं से मदद नहीं मिल पाई है।अपने बेटे अंकुश के दिव्यांग होने के बाद उसकी हालत देखकर मां गीता बाई की आंखें छलक आती हैं। वे महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेडिय़ा के विधानसभा क्षेत्र की निवासी हैं। वे बताती हैं कि एक वर्ष की उम्र में माता-पिता की उंगली पकड़ बेटे ने चलना सीखा। उसे अपने पैरों में चलता देख खुशी होती थी। लेकिन यही बेटा अब अपाहिज हो गया है।
सरकारी चावल से मिटती है भूख
बेटे के सिर से पिता का साया उठ जाने के बाद इस घर में मां एक बेटी व दिव्यांग बेटा ही रहते हैं। परिवार बहुत गरीब है। सरकार से मिलने वाले चावल से पेट की भूख मिटाते हैं।

रिश्तेदार व ग्रामीणों की मदद से मां ने शासन-प्रशासन के चक्कर काटने के बाद एक साल पहले 45 फीसदी दिव्यांगता का प्रमाण पत्र तो बनवा लिया। लेकिन आज तक उन्हें दिव्यांगता भत्ता नहीं दिया गया है। ना ही सरकारी इलाज और कोई आर्थिक मदद मिल पाई है।
मंत्री प्रतिनिधि ने दिया मदद का आश्वासन
महिला बाल विकास मंत्री प्रतिनिधि पीयूष सोनी ने मामला मंत्री का क्षेत्र और विभाग का होने की बात कहते हुए जल्द इलाज और आर्थिक मदद देने का आश्वासन दिया। वहीं डौंडी जनपद पंचायत के प्रभारी सीईओ डिप्टी कलेक्टर अविनाश ठाकुर ने मामले को संज्ञान में ले ट्रायसाइकिल और शासन-प्रशासन से मिलने वाली योजनाओं के तहत हरसंभव मदद का भरोसा दिया है।

छत्तरसिंग पटेल

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