जब तक संपादकीय अच्छी नहीं होगी कोई आपका पुस्तक, पेपर या वेबपोर्टल नहीं पढ़ेगा
यदि अच्छे शब्द और तर्क जो लोगों को प्रेरित न कर सके और यदि उनके अनुकूल न हो तो सोशल मीडिया में भी लोग आपके पोस्ट को देखकर अनदेखा कर देते हैं।
उस संबंधित व्यक्ति के इंट्रेस्ट से यदि न जुड़ा हो तो कोई आपके यूआरएल/लिंक या पोस्ट को क्यों देखेगा?
आज यदि एक अकेला आदमी एक बड़ा मीडिया बन सकता है बिना लागत के और बड़े बड़े मीडिया घराने को टक्कर दे सकता है तो इसके पीछे उसका अच्छा संपादकीय, लोक लुभावने हेडिंग, सत्यता को लिखने और करोड़पति बनने के सपने से दूरी बनाए रखना हो सकता है। हालांकि उन्हें भी गूगल ऐडसेंस तथा राष्ट्रीय पर्व, राजनैतिक लोगों और आम लोगों द्वारा दिए जाने वाले व शासन स्तर पर मिलने वाले विज्ञापन से कमाई करेगा तभी तो अपनी बेरोजगारी दूर करेगा।
“क्या? अकेला एक आदमी भी बड़े मीडिया घराने को टक्कर दे सकता है?”
हां, सर बिल्कुल। आपने सही सुना।
“बताओ भला कैसे?”
छोटे से स्टेप्स और पूरी ईमानदारी और निष्ठा से कार्य करने से। इसके लिए वे कुछ ऐसे स्टेप्स फॉलो करते हैं……
1- पीआईबी के वेबसाइट से प्रेस विज्ञप्ति में संपादकीय, रोज लगभग 10 से अधिक विज्ञप्ति जारी होते हैं जिसमें 2-4 में संपादकीय कर सकते हैं इसके अलावा अपने संबंधित राज्य के जनसंपर्क विभाग से जारी प्रेस विज्ञप्ति।
2- मंत्रिमंडल के निर्णय और मंत्रियों, नेताओं, फिल्म स्टार, सामाजिक कार्यकर्ता, आरटीआई कार्यकर्ता और खिलाड़ियों के सोशल मीडिया एकाउंट की निगरानी करना।
3- क्राइम रिपोर्टिंग के लिए कुछ स्थानीय जिलों के पुलिस फेसबुक पेज का सहारा लिया जा सकता है।
4- लगभग सभी विभाग से प्रेस विज्ञप्ति जारी किया जाता है, इसके मिलने के सोर्स से समन्वय।
5- विपक्षी दलों के नेताओं से समन्वय और उनके सोशल मीडिया पर सक्रिय रहना और निष्पक्ष समीक्षा करना।
6- सोशल मीडिया में ट्रेंड हो रहे पोस्ट की समीक्षा, कि वह फर्जी है या सही?
7- कुछ दार्शनिक, विचारकों, लेखकों और संपादकों से समन्वय बनाकर रखना।
8- कुछ पुलिस अधिकारी/कर्मचारी, अधिवक्ता, डॉक्टर से समन्वय बनाकर रखना।
9- राष्टीय और राज्य स्तर के मामलों के लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट और माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों का अवलोकन करते रहना।
10- अन्य, अपने कार्यक्षेत्र और चॉइस के अनुसार ….
“ये तो कितना आसान उपाय है अब तो मैं भी अपना अकेले का वेबपोर्टल न्यूज चैनल बनाऊंगा…”
मुझे पता था, आप ऐसे ही कुछ सोचोगे। मगर क्या आपमें संपादकीय योग्यता और अनुभव है?
क्या समाचार बनाने की अनुभव है?
कभी किसी झांसे में आकर उपर नीचे मत लिख देना, बहकावे और आवेश में आकर, खोजी पत्रकारिता के नाम पर ऐसा कोई तथ्य पर दावे पेश मत कर देना, किसी की सामाजिक/राजनैतिक चरित्र का हनन मत कर देना, किसी के आस्था विश्वास को आघात मत पहुंचा देना। किसी अधिकारी, नेता या संस्था के खिलाफ झूठे दावे को सही मानकर अपना टीआरपी मत बढ़ा लेना।
क्या आप संविधान, नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत और देश/राज्य में प्रभावी कानूनों की जानकारी है?
ये तो नहीं है यार!
HP Joshi
Nawa Raipur,
Chhattisgarh